जागता झारखंड दुमका ब्यूरो। झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी के ‘पलाश’ परियोजना से जुड़े कर्मियों ने अपनी सेवा शर्तों और लंबित मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। झारखंड राज्य आजीविका कर्मचारी संघ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर छह सूत्री मांगों को तुरंत लागू करने की अपील की है। संघ का कहना है कि समयबद्ध कार्रवाई नहीं होने पर वे “सड़क से सदन” तक आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
जमीनी काम करने वालों का भविष्य अधर में
संघ का कहना है कि पलाश टीम ग्रामीण इलाकों में आजीविका वृद्धि और महिला समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण की रीढ़ है। सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने के बावजूद, इन कर्मियों को न नौकरी की सुरक्षा है, न ही स्थिर आय का भरोसा। कर्मचारियों का आरोप है कि प्रबंधन वर्षों से सिर्फ आश्वासन देता रहा है, जबकि किसी मांग पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
कर्मचारियों की 6 प्रमुख मांगें
1. एनएमएमयू पॉलिसी लागू हो
केंद्र की फाइल संख्या जे-11060/30/2016-RL के अनुसार एनएमएमयू पॉलिसी को बिना कटौती पूरी तरह 2024 तक लागू किया जाना था जो अब तक नहीं हुआ है। उसको लागू किया जाए।
2. जेएसएलपीएस कर्मियों को राज्य कर्मी का दर्जा
सोसाइटी एक्ट से बाहर निकालकर सभी कर्मियों को सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं दी जाएं।
3. आंतरिक प्रोन्नति का प्रावधान
स्तर-5 से स्तर-8 तक प्रमोशन वरिष्ठता, अनुभव और योग्यता के आधार पर सुनिश्चित किया जाए।
4. स्वचालित वेतन वृद्धि एच आर मैन्युअल
के अनुरूप 10% वार्षिक वृद्धि की प्रक्रिया को स्वचालित बनाया जाए।
5. गृह जिले में पदस्थापना
स्तर-7 और 8 के लटके हुए मामलों को तुरंत निपटाया जाए और भविष्य के लिए स्थाई नीति बने।
6. वेतन भुगतान प्रक्रिया में सुधार
सभी एफटीई कर्मियों का भुगतान एस एन ए एसपीएआरएसएच के माध्यम से ‘एडमिन कॉस्ट’ लॉगिन से किया जाए।
संघ ने कहा कि प्रबंधन का टालमटोल रवैया अब बर्दाश्त से बाहर है। प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार इस बार भी सिर्फ आश्वासन तक सीमित रही, तो राज्यव्यापी आंदोलन तय है।


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