जागता झारखंड ब्यूरो चीफ गुमला : गुमला सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का 20 वर्ष पूर्ण होने पर जिले के आरटीआई एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रविवार को बिरसा मुंडा एग्रो पार्क, गुमला में केक काटकर और मिठाइयां बांटकर तथा कार्यशाला आयोजित कर सूचनाधिकार दिवस मनाया lमौके पर भारतीय सूचना अधिकार रक्षा मंच के केंद्रीय महासचिव एवं आरटीआई - सामाजिक कार्यकर्ता आनंद किशोर पंडा ने कहा कि " आज ही के दिन 12 अक्टूबर 2005 को भारतीय संसद द्वारा झारखण्ड समेत पूरे देश में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागु हुआ था जो भारत का दूसरा आजादी माना जाता है l आज इस सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून का 20 वर्ष पूर्ण हो गया l यह सूचना कानून नागरिकों को सशक्त बनाता है, उन्हें सरकारी तंत्र के कामकाज की जानकारी प्राप्त करने और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने का भरपूर अवसर देता है , सरकारी विभागों और सार्वजनिक प्राधिकरणों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करवाता है ,गलत कार्यों का पर्दाफाश करवाते हुए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है साथ ही सच्चाई को कुबूल करवाता है जिससे शासन- प्रशासन जनता के प्रति अधिक जिम्मेदार बने और लोकतंत्र सुदृढ़ हो l आरटीआई कार्यकर्ता शंभूनाथ सिंह ने कहा कि " सूचना का अधिकार कानून आम जनता का एक हथौड़ा है जिसे सरकार के द्वारा ही अनावश्यक संसोधन कर तथा सूचना आयोग को निष्क्रिय कर इसे भोथरो करने का प्रयास किया जा रहा है जो कदापि उचित नहीं है lशिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि " आज का सूचनाधिकार दिवस भारत के सभी नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है जो उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने और एक पारदर्शी, जवाबदेह और भ्रष्टाचारमुक्त शासन प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है l" सामाजिक कार्यकर्ता मेघनाथ प्रसाद ने कहा कि " सूचना का अधिकार हमारे देश का एक महत्वपूर्ण कानून है जो लोकतंत्र को मजबूत करता है और इस कानून में जनता को सूचना मुहैया कराने के लिए एक टाईम बौंड है किन्तु जिले एवं राज्य में इसका सही से अनुपालन ही नहीं हो रहा है lआरटीआई कार्यकर्ता दिलीप कुमार साहु ने कहा कि " सूचना का अधिकार का आवेदन जमा करने के बाद सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा - 7(1) में सूचना आपूर्ति के लिए एक निर्धारित समयावधि तीस दिन है किन्तु जन सूचना अधिकारी सूचनाएं मुहैया नहीं करा कर आवेदक को अनावश्यक परेशान करते हैं जो सूचना कानून का खुल्लम-खुल्ला उलंघन है lआरटीआई कार्यकर्ता सुनील कुमार दास ने कहा कि " जन सूचना पदाधिकारी के वरिय अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील दर्ज करने पर उन्हें 30 से 45 दिनों के अंदर सुनवाई कर सूचनाएं आपूर्ति करानी है लेकिन आरटीआई अपील मामले पर जिले के अपीलीय अधिकारी को सुनवाई करने का समुचित ज्ञान ही नहीं है, सुनवाई के नाम पर केवल लम्बी तारीखें देकर समय को खिंचा जाता है और कई महिने बाद जन सूचना पदाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना सामग्री का वगैर देखे- सुने आधी अधूरी और त्रुटिपूर्ण सूचनाएं दिलाकर मामले को बंद कर दिया जाता है जो सूचना का अधिकार कानून के तहत बिल्कुल मजाक है lभूतपूर्व सैनिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता तारसियूस एक्का ने कहा कि " सूचना का अधिकार उलंघन पर राज्य सरकार ने संवैधानिक संस्था झारखण्ड राज्य सूचना आयोग का गठन किया है किंतु पिछले लगभग छः वर्षो से राज्य आयोग में एक भी सूचनायुक्त नहीं है नतीजतन वगैर सूचनायुक्त के यह सूचनाधिकार कानून बिल्कुल प्रभावहीन हो गया है lसेवानिवृत्त कर्मचारी बनु बाबु ने कहा कि " राज्य सरकार को शर्म आनी चाहिए को वो पिछले लगभग छः वर्षो से राज्य आयोग में खाली पड़े मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों के सभी पदों के नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकालकर चुप्पी साधे हुए हैं जो सूचना कानून और संवैधानिक प्रावधानों का उलंघन है l राज्य सरकार जल्द सूचनायुक्तो की नियुक्ति करें l" टाना भगत शिष्टमंडल प्रतिनिधि कमिटी, झा० प्र० के महासचिव एवं सामाजिक कार्यकर्ता नारायण भगत ने कहा कि " संवैधानिक संस्था झारखण्ड राज्य सूचना आयोग पिछले कई वर्षो से निष्क्रिय है जिसके कारण अधिकारी को सूचना कानून से भय बिल्कुल खत्म हो गया है नतीजा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रही है l इस कार्यक्रम में आनंद किशोर पंडा, बनु बाबु, सुनील कुमार दास, दीलिप कुमार साहू, तारसियूस एक्का , मो०आफताब आलम, मेघनाथ प्रसाद, बिरेंद्र तिर्की, नारायण भगत, सुनील कुमार वर्मा, शंभूनाथ सिंह, प्रमोद सिंह , रणधीर निधि, अनील कुमार पंडा , बी० दास, शुभम कुमार, गजानन साहु, महेंद्र उरांव, प्रवीण साहु, लाल अरविंद कुमार, प्रमोद सिंह, अर्जुन महतो , बादल सिंह, अशोक प्रसाद सोनी, प्रवीण यादव सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे l
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