दो साल बाद भी नहीं बनी सीढ़ी,₹1.55 लाख भुगतान के बाद गायब हुआ काम


 जागता झारखंड संवाददाता बजरंग कुमार महतो घाघरा (गुमला) : गुमला जिले के घाघरा प्रखंड की रुकी पंचायत में भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है। बड़ा अजियातु गांव में 15वीं वित्त आयोग से स्वीकृत तालाब सीढ़ी निर्माण योजना कागजों पर पूरी हो चुकी है, लेकिन जमीन पर आज तक उसका कोई निशान नहीं है। वित्त वर्ष 2023-24 में इस योजना के लिए ₹2.80 लाख की स्वीकृति मिली थी, जिसमें से ₹1.55 लाख की राशि पंचायत स्तर से भुगतान भी कर दी गई। इसके बावजूद लगभग दो वर्ष बीतने के बाद भी तालाब में सीढ़ी निर्माण का कार्य आरंभ नहीं हुआ है।

फर्जी ग्राम सभा और बनावटी लाभुक समिति का आरोप

ग्रामीणों ने बताया कि सीढ़ी निर्माण की योजना के लिए किसी तरह की ग्राम सभा का आयोजन नहीं किया गया था। बाद में फर्जी दस्तावेज दिखाकर एक बनावटी लाभुक समिति बनाई गई और इसी के माध्यम से राशि का निर्गमन कर दिया गया। लोगों का कहना है कि योजना के नाम पर तैयार किए गए कागज वास्तविकता से मेल नहीं खाते। आज तक वहां ऐसा कोई निर्माण नहीं हुआ है जिससे यह पता चले कि कोई योजना कार्यान्वित हुई थी।

ग्रामीणों का आरोप – बिचौलियों और सचिव की मिलीभगत

ग्रामीणों के अनुसार बिचौलियों ने पंचायत सचिव के साथ मिलकर राशि का बड़ा हिस्सा हड़प लिया है। उन्होंने बताया कि जब भी कोई सामान्य लाभुक या आवास योजना कार्य शुरू करने में देरी करता है, तो अधिकारियों द्वारा बार-बार उसे दबाव और रिकवरी की धमकी दी जाती है। लेकिन इस योजना में ₹1.55 लाख की राशि का भुगतान हो जाने के बाद भी न तो कोई निरीक्षण हुआ और न ही जिम्मेदार अधिकारियों ने स्थल का दौरा किया। इससे स्पष्ट है कि पंचायत स्तर पर बिचौलियों की पैठ मजबूत हो चुकी है और अधिकारी इस पर आंखें मूंदे हुए हैं।

फंड की कमी नहीं, ईमानदारी की कमी ग्रामीण

 ग्रामीणों ने कहा कि सरकार से योजनाओं के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध है, लेकिन उसका सही उपयोग नहीं हो रहा। योजनाएं फाइलों में सिमट जाती हैं और बिचौलियों के माध्यम से फर्जी भुगतान कर दिया जाता है। उनका कहना है कि यदि पारदर्शिता से योजना क्रियान्वित की जाती, तो आज यह तालाब सीढ़ी लोगों के उपयोग में होती। सीढ़ी के अभाव में ग्रामीणों और पशुओं को तालाब तक पहुंचने में दिक्कत होती है।

निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और प्रखंड कार्यालय से मांग की है कि इस भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही दोषी पंचायत प्रतिनिधियों, सचिवों और शामिल बिचौलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी मांग की है कि तालाब की सीढ़ी का निर्माण जल्द से जल्द कराया जाए ताकि योजना का लाभ ग्रामीणों तक पहुंच सके।

प्रशासनिक लापरवाही पर उठ रहे सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि अधिकारी नियमित रूप से पंचायत योजनाओं का निरीक्षण करते, तो इस तरह की गड़बड़ी सामने नहीं आती। लेकिन दो वर्षों बाद भी किसी अधिकारी ने योजना स्थल का निरीक्षण तक नहीं किया। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि निगरानी तंत्र पूरी तरह कमजोर पड़ चुका है। रुकी पंचायत का यह मामला इस बात का प्रमाण बन गया है भ्रष्टाचार और लापरवाही का बोलबाला है।

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