प्राइवेट कंपनी से लोन लेकर लोग मानसिक तनाव के हो रहे शिकार

लोन लेना आसान लेकिन लौटना बहुत ही मुश्किल।

जागता झारखंड संवाददाता शकील अहमद। भंडरा/लोहरदगा


:  गांव, मोहल्लों में एक दिन बैंक का अफसर आया, उसने औरतों को समझाया आप सब मिलकर समूह बनाइए, बैंक से लोन लीजिए, मेहनत कीजिए और किस्त समय पर चुकाइए औरतों को भी पहली बार लगा कि अब गरीबी का अंधेरा खत्म होगा सबने लोन लिया किसी ने बकरी खरीदी, किसी ने सिलाई मशीन, तो किसी ने दुकान खोलने का सपना देखा शुरुआत में सबको लगा कि अब घर की हालत बदल जाएगी लेकिन जिंदगी ने करवट बदल ली फसल बर्बाद हो गई बकरियां बीमार पड़ीं दुकानों पर उधारी बढ़ गई, पर कमाई नहीं हुई अब हालत यह हुई कि किस्त भरने का वक्त आया, लेकिन जेब खाली थी बैंक का आदमी बार-बार दरवाज़े पर खड़ा होता, और महिलाएं झेंपकर एक-दूसरे की ओर देखने लगतीं।

धीरे-धीरे रिश्तों में खटास आने लगी।

समूह की बैठकों में अब मुस्कान की जगह चिंता आने लगी कोई बोला मैंने तो थोड़ा-बहुत पैसा दिया है, बाकी लोग क्यों नहीं दे रहे दूसरी बोली हम चाहकर भी नहीं दे पा रहे, घर में खाने तक का संकट है धीरे-धीरे रिश्तों में खटास आने लगी। जो समूह मिलकर बना था, वही समूह अब टूटने की कगार पर था।

गांव के बुजुर्गों ने पहले कहा करते थे।

लोन लेना आसान है, लेकिन लौटाना बहुत मुश्किल बिना सोचे-समझे लोन लेना मुसीबत बुलाने जैसा है। मेहनत करो, छोटे से छोटा काम शुरू करो, पर लोन तभी लो जब उसे समय पर चुका सको महिलाओं की आंखों में आंसू थे। उन्हें एहसास हुआ कि सपना देखने से पहले हकीकत समझना भी जरूरी है।

सीख:सोच-समझकर ही कदम बढ़ाना चाहिए।

लोन जीवन बदल सकता है, लेकिन अगर समय पर किस्त न चुकाई जाए तो वही लोन बोझ बनकर परिवार और रिश्तों को तोड़ देता है इसलिए सोच समझकर ही कदम बढ़ाना चाहिए।

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