बुनियाडीह गांव के नव प्राथमिक विद्यालय में बड़ी लापरवाही, बच्चे सिर्फ दाल-भात खाने को मजबूर
जागता झारखंड संवाददाता बजरंग कुमार महतो घाघरा (गुमला) : घाघरा प्रखंड क्षेत्र के बुनियाडीह गांव स्थित नव प्राथमिक विद्यालय से मिड-डे मील योजना में गंभीर अनियमितता सामने आई है। विद्यालय में बच्चों को मिलने वाले मध्यान्ह भोजन से सब्जी गायब है। बुधवार को इस सिलसिले में जागता झारखंड हिंदी दैनिक अखबार के संवाददाता के द्वारा की गई पड़ताल में आरोपों की पुष्टि हुई। जांच के दौरान बच्चों की थाली में केवल दाल और भात परोसा गया था, जबकि सब्जी कहीं नजर नहीं आई । गांव के अभिभावकों ने बताया कि बच्चों को पोषण देने के नाम पर चल रही इस योजना को स्थानीय स्तर पर लापरवाही से संचालित किया जा रहा है। बच्चे यदा-कदा ही सब्जी खाते हैं, अन्यथा ज्यादातर दिनों में उन्हें केवल दाल और भात परोसा जाता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य व विकास पर गंभीर असर पड़ने का खतरा है।
बच्चों का दर्द :- कभी-कभी ही सब्जी मिलता है
जब स्कूली बच्चों से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि कभी-कभी ही सब्जी बनता है, ज्यादातर दिन केवल दाल-भात मिलता है। इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि बच्चों को पोषणयुक्त भोजन देने का दावा महज कागजी साबित हो रहा है।
रसोइया की सफाई :- जो मिलता है वही बनाते हैं
मामले पर जब विद्यालय की रसोइया से सवाल किया गया तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि एक हफ़्ते से सब्जी नहीं बन रही है। प्रधानाध्यापक जो सामग्री देते हैं वही पकाना पड़ता है। अगर सब्जी नहीं आता है तो बनाने का प्रश्न ही नहीं उठता।
प्रधानाध्यापक की दलील :- पैसे की कमी
इस पूरे प्रकरण को लेकर जब प्रधानाध्यापक से पूछा गया, तो उनका कहना था कि जब पैसा रहता है, तब सब्जी बनती है। लेकिन जब राशि नहीं रहती तो केवल दाल-भात ही परोसा जाता है। उनका यह बयान साफ करता है कि स्कूल प्रबंधन मिड-डे मील योजना की राशि के उपयोग और पोषणमानक के पालन में गंभीर नहीं है।
पोषण पर संकट
मिड-डे मील योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब बच्चों को विद्यालय से जोड़ना और उन्हें न्यूनतम स्तर का पोषण उपलब्ध कराना है। परन्तु सब्जी जैसी आवश्यक खाद्य सामग्री गायब रहने से इस योजना का मकसद ही खत्म हो रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्फ दाल-भात बच्चों की शारीरिक आवश्यकता पूरी नहीं कर सकता। संतुलित भोजन में सब्जी का होना बेहद जरूरी है, जो विटामिन और मिनरल्स का मुख्य स्रोत है।
जवाबदेही तय करने की मांग
ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि बच्चों को हर रोज संतुलित भोजन उपलब्ध कराया जाए। यदि पैसे की कमी है तो इसकी आवाज जिला स्तर पर उठाई जानी चाहिए थी, न कि बच्चों के पेट पर चोट कर उनकी सेहत से खिलवाड़ किया जाए।
जिला शिक्षा अधीक्षक नूर आलम खान ने कहा
इस संबंध में जब जिला शिक्षा अधीक्षक नूर आलम खान से जागता झारखंड हिंदी दैनिक अखबार के संवाददाता द्वारा दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह अत्यंत चिंतनीय विषय है। इस पर तुरंत जांच कर आगे की आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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