जागता झारखंड दुमका ब्यूरो। झारखंड सरकार और जिला प्रशासन चाहे जितने आदेश जारी कर ले, लेकिन हकीकत यही है कि दुमका में अवैध खनन और ओवरलोड ट्रकों का खेल दिन-दहाड़े खुलेआम जारी है। हालत यह है कि जिले में कानून का राज नहीं, बल्कि खनन माफिया और उनसे मिलीभगत करने वाले भ्रष्ट पदाधिकारी ही असली सरकार चला रहे हैं।
रविवार की सुबह दुमका-हंसडीहा मुख्य मार्ग पर जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत नोनीहाट चौक पर इसका जीता-जागता सबूत देखने को मिला। एक ट्रक संख्या ( बी आर 51 सी 2800) ओवरलोड गिट्टी से लदा खड़ा मिला। गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ट्रक में लदी गिट्टी का कोई चालान भी नहीं था। जब इसकी सूचना प्रशासन को सूचना दी, तो लगा जैसे इस बार कार्रवाई होगी। लेकिन हुआ इसका उल्टा।
ट्रक को जब्त करने के बजाय मरम्मत करवाकर दोपहर तीन बजे वहां से भगा दिया गया।
*सिर्फ कागज़ों पर कार्रवाई, सड़क पर आज़ादी*
इस पूरे मामले की जानकारी जरमुंडी प्रखंड के अंचलाधिकारी (सीओ) संजय कुमार को दी गई। उन्होंने कहा था, “अगर गिट्टी का चालान नहीं है तो ट्रक जब्त होगा, और अगर चालान है तो ओवरलोडिंग पर जुर्माना लगेगा।”
लेकिन हुआ इसके उलट। ट्रक बिना किसी जांच के मौके से फरार हो गया।
जब इस बारे में दोबारा संजय कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने बड़ी सहजता से कहा की, मैंने तो हंसडीहा थाना प्रभारी को जांच के लिए बोला था, आगे उन्होंने क्या किया, मुझे नहीं मालूम। और फिर उनके द्वारा यह बोला गया कि अगर भविष्य में फिरसे कहीं ऐसा वाहन दिखता है तो मुझे पहले जानकारी दीजियेगा मैं खुद स्थल पर आ जाऊंगा। लेकिन यहाँ यह बात समझ में नहीं आ रहा है कि अंचलाधिकारी को कितने पहले सूचना दी जाए। वाहन खराब होने से पहले या फिर वाहन खराब होने के बाद। दुमका हंसडीहा मुख्य मार्ग में रात के अंधेरे में क्या काला खेल चलता है यह बात किसी से छुपी नहीं है। अब यहाँ सोचने वाली बात यह है कि, ये कैसी कार्रवाई है जिसमें आदेश देने वाला भी अंधेरे में है और आदेश का पालन करने वाला भी मौन है।
*उपायुक्त के आदेशों की उड़ाई जा रही है धज्जियां*
यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते 18 अगस्त को उपायुक्त अभिजीत सिन्हा की अध्यक्षता में जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में साफ निर्देश दिए गए थे की
जिले में अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगे।
ओवरलोड वाहनों पर तुरंत कार्रवाई हो।
लेकिन नतीजा सामने है। उपायुक्त के आदेशों की धज्जियां उड़ा दी गईं। अब सवाल यहाँ यह उठता है कि जब पदाधिकारी ही डीसी के निर्देशों को कचरे में फेंक रहे हैं, तो जनता की आवाज आखिर कौन सुनेगा।
*अब सवाल यह जठता है कि जांच कौन करेगा?*
जब वही लोग जांच के जिम्मेदार हैं जो इस धंधे में हिस्सेदार हैं, तो जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही होगी। अब सवाल यहाँ यह उठता है कि क्या कानून का मतलब सिर्फ गरीबों और असहाय लोगों को दबाना है।
लेकिन इन सवालों का जवाब देने वाला कोई जिम्मेदार नहीं है। सभी बस अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।
*दुमका में कानून बंधक*
इस घटना ने साफ कर दिया है कि दुमका में कानून और व्यवस्था ‘खनन माफिया’ के हाथों की कैद में है।
यह सिर्फ एक ट्रक की कहानी नहीं, बल्कि उस तंत्र की सच्चाई है जहां अवैध खनन की मूक स्वीकृति पदाधिकारियों के मौन से मिलती है।
*क्या कहते हैं दुमका डी एम ओ*
इस विषय पर जब दुमका डी एम ओ आनंद कुमार को प्रथम सूचना दिया गया तो उनके द्वारा यह कहा गया कि लोकेशन वाला फ़ोटो भेजिये जांच करते हैं। लेकिन जब साहब से कार्यवाही के विषय मे जानकारी के लिए दोबारा सम्पर्क साधने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन का उत्तर नहीं दिया फिर शाम करीब 5:42 में व्हाट्सएप मेसेज के द्वारा यह बताया कि ट्रक ब्रेकडाउन हो गया था। और गिट्टी का चालान है। लेकिन विश्वसनीय सूत्रों से पता चला था कि ओवरलोड गिट्टी का चालान नहीं है। और डी एम ओ साहब ने व्हाट्सएप के माध्यम से कहा कि चलान है। फिर जब उनसे पूछा गया कि ओवर लोड पर क्या कार्यवाही की गई तो उन्होंने ने उत्तर देते हुए कहा कि 1000 सी एफ टी का चालान है इसलिए कोई कार्यवाही नहीं कि गयी। ऐसा डी एम ओ साहब को माइनिंग इंस्पेक्टर ने बताया है। और उसके बाद साहब यह जानकारी साझा कर रहे हैं। लेकिन यह जानकारी साझा करते वक़्त साहब शायद यह भूल गए कि बीते 20 अगस्त को दुमका जिला के रानेश्वर प्रखंड में अवैद्ध खनन, परिवहन एवं भंडारण के खिलाफ वाहन जांच अभियान चलाया गया था जिसमे दो वाहनों को अवैद्ध चिप्स ले जाते पकड़ा भी किया गया था। जिसमें
(1) वाहन संख्या-डब्बलू सी 53-7034, जप्त अवैध चिप्स पत्थर की मात्रा-750 सीएफटी
(2) वाहन संख्या-डब्बलू बी 11 एफ-3456, जप्त अवैध चिप्स पत्थर की मात्रा-700 सीएफटी
दो वाहनों पर मात्र 700 सी एफ टी तथा 750 सी एफ टी चिप्स लोड थे। लेकिन फिर भी इन दोनों वाहनों को पकड़ा गया था। इन सब बातों को देखते हुए यह साफ स्पष्ट हो रहा है कि दुमका में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। ना किसी को कानून का कोई भय है और ना ही कोई कानून का पालन करना चाहता है। अब सच्चाई क्या है यह तो उच्चस्तरीय जाँच के उपरांत ही सामने आएगी। या फिर जाँच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाएगी यह अपने आप मे एक बहुत बड़ा सवाल है।
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