पंचायत के 20 नए जलमीनारों में से महज़ 2 ही चालू हैं, जबकि शेष 18 जलमीनार धूल फाँक रहे

 







जागता झारखंड दुमका ब्यूरो।भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन – हर घर जल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों तक शुद्ध पेयजल पहुँचाना था। इस योजना के तहत वर्ष 2022-23 में लतबेरवा पंचायत के प्रत्येक गाँव में जलमीनार का निर्माण कराया गया। लेकिन आज, निर्माण के पूरे दो वर्ष बीत जाने के बाद भी सच्चाई यह है कि पंचायत के 20 नए जलमीनारों में से महज़ 2 ही चालू हैं, जबकि शेष 18 जलमीनार धूल फाँक रहे हैं।

पंचायत के विभिन्न गाँवों का हाल यह है कि कहीं जलमीनार अधूरा छोड़ दिया गया, कहीं मोटर और सोलर प्लेट नहीं लगाए गए, और जहाँ लगाए भी गए, वहाँ फिटिंग ही नहीं की गई। कई स्थानों पर ग्रामीणों ने अपनी जेब से चंदा इकट्ठा कर निजी स्तर पर चापाकल और मोटर फिट कराए, लेकिन कुछ महीनों बाद वे भी खराब हो गए।


*गाँवों की जमीनी हकीकत*


*खसिया*

ग्राम खसिया में दो जलमीनार बनाये गए। राम मंदिर के पास बने जलमीनार में सोलर प्लेट तो लगाया गया लेकिन इसमें मोटर गायब है, लेकिन ऊपर टोला में स्थित जलमीनार में केवल मोटर लगाया गया है जबकि सोलर प्लेट गायब है।


*खिलकिनारी*

ग्राम खिलकिनारी में पाइपलाइन और जलमीनार का निर्माण तो पूरा हुआ, मगर मोटर और सोलर प्लेट फिट करने के बजाय उन्हें ज़मीन मालिक के घर पर डालकर छोड़ दिया गया ।


*सासाराम*


ग्राम सासाराम के जलमीनार में ना तो मोटर लगाया गया है और ना ही सोलर। ग्रामीणों ने खुद चंदा इकट्ठा कर पानी की समस्या से निजात पाने के लिए बोरिंग पर चापाकल फिट करवाया।


*पूर्णिया*

ग्राम पूर्णिया में मोटर और सोलर तो दिए गए है, लेकिन फिटिंग न होने से जलमीनार आज भी बंद अवस्था मे पड़ा हुआ है।


*सिकटिया*

ग्राम सिकटिया में ग्रामीणों ने निजी मिस्त्री से मोटर फिट करवाया और सोलर से पानी चलाया, लेकिन कुछ महीनों पहले स्टार्टर खराब हो गया जिस वजह से जलमीनार बंद पड़ा है। और वही पुराना जलमीनार भी कभी बंद रहता है तो कभी खुद ही चलता है।

 

*लतबेरवा*

ग्राम पंचायत लतबेरवा में ऊपर टोला में नया जलमीनार बंद अवस्था में है और उसी के सामने एक पुराना जलमीनार भी है जो करीब एक वर्ष से बंद पड़ा है। वहीं नीचे टोला में बने जलमीनार के पानी टंकी की छत के ढलाई का काम अभी भी अधूरे अवस्था मे पड़ा है जिस वजह से यह चालू नहीं हुआ है और। पुराने जलमीनार का मोटर ठीक करने के लिए मिस्त्री करीब छः माह पहले लेकर गया, लेकिन लौटाकर नहीं दिया है। जिस वजह से लतबेरवा के ग्रामीणों को सिर्फ पीने के लिए ही चापाकल से पानी उपलब्ध हो पाता है बाकी कामो के लिए ग्रामीणों को नदी का सहारा लेना पड़ता है।


*मड़पा*

ग्राम मड़पा का जलमीनार केवल ग्रामीणों के संघर्ष और झगड़े के बाद ही चालू हो पाया।


*गरडी*

ग्राम गरडी की स्थिति बेहद खराब है। ऊपर टोला में बने एक कंक्रीट जलमीनार की टंकी अधूरी है। सोलर प्लेट चोरी हो गया है। वहीं सिंटेक्स वाले जलमीनार में न मोटर है, न सोलर। जिसमे ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए यह बताया कि कुछ साहब लोग आए थे और कार्य प्रारंभ व पूर्ण होने की तिथि अंकित किये गए बोर्ड को जलमीनार के पास लगा दिया और फोटो खींच कर चले गए। इसी गांव के नीचे टोला का जलमीनार भी अधूरा है और चालू नहीं हुआ है।


*मधुबन*

ग्राम मधुबन में सड़क किनारे ही एक जलमीनार का निर्माण कार्य शुरू हुआ और शुरू होते ही कार्य का अंत भी हो गया जलमीनार को महज 10 फिट उठा कर छोड़ दिया गया है। ठेकेदार को भी लगा होगा कि बाकी का कार्य शायद सम्बंधित विभाग के पदाधिकारी खुद पूरा करेंगे।


*सिजुवाकिता*

ग्राम सिजुवाकिता और सिजुवाबहियार में दो जलमिनारो का निर्माण किया गया है। जिसमे दोनों जलमीनार बिना मोटर और सोलर के कूड़ेदान की स्थिति में पड़े हुए हैं।


*ठाड़ी खसिया*

ग्राम ठाड़ी खसिया में जलमीनार के निर्माण के लिए दो बोरिंग किया गया बोरींग करने के बाद निर्माण सामग्री गिरा दी गई लेकिन जलमीनार का निर्माण आजतक हुआ ही नहीं। वहीं तत्वा टोला का जलमीनार भी सोलर प्लेट और मोटर के अभाव में बंद है। सिर्फ राय टोला का जलमीनार चालू है जिसे ग्रामीणों ने लड़ झगड़ कर चालू करवाया था।


*लक्ष्मीपुर*

ग्राम लक्ष्मीपुर का जलमीनार चालू तो हुआ, लेकिन महज़ 6 महीने बाद ही खराब हो गया और करीब एक साल से बंद पड़ा है। जिससे ग्रामीणों को जल की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।



*ग्रामीणों की पीड़ा और भ्रष्टाचार का खेल*


ग्रामीण बताते हैं कि जब भी पानी की समस्या पर पदाधिकारियों से शिकायत की जाती है, तो वे केवल आश्वासन देकर चले जाते हैं। कहीं-कहीं पर तो मोटर और सोलर ग्रामीणों को थमा दिया गया, मानो सरकार ने अपना काम पूरा कर लिया हो।


यह स्पष्ट है कि जल जीवन मिशन जैसी जनकल्याणकारी योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है। ठेकेदारों और पदाधिकारियों की मिलीभगत से कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है।  


*सबसे ज्यादा प्रभावित आदिवासी गाँव*


लतबेरवा पंचायत के 14 गाँवों में से 9 गाँव आदिवासी गाँव हैं। योजनाओं की गड़बड़ी का सबसे ज्यादा खामियाजा इन्हीं आदिवासी गाँवों को भुगतना पड़ता है। आदिवासी ग्रामीणों की आवाज़ अक्सर दबा दी जाती है और पदाधिकारी अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर उन्हें चुप करा देते हैं। अब सवाल यहाँ यह उठता है कि अगर एक पंचायत की स्थिति इतनी भयावह है, तो पूरे रामगढ़ प्रखंड के 27 पंचायतों की हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। आखिर कब तक भ्रष्ट पदाधिकारी अपनी जेबें भरते रहेंगे और आम ग्रामीण पानी की एक-एक बूंद को तरसते रहेंगे। 

सरकार की नीयत भले ही “हर घर जल” पहुँचाने की हो, लेकिन जमीनी स्तर पर लतबेरवा पंचायत की सच्चाई यही है कि जलमीनार जंगली जानवरों के काम आ रहे हैं, पर ग्रामीण अब भी प्यासे हैं। 


*क्या कहते हैं अधिकारी*


इस विसय पर जानकारी के लिए जब कनीय अभियंता अनूप कुमार कुशवाहा से सम्पर्क किया गया तो उनके द्वारा यह बताया गया कि इस मामले के लिए पहले भी उच्च अधिकारियों को लिखा जा चुका है लेकिन ठेकेदार के द्वारा की जा रही मनमानी के वजह से काम शुरू नहीं हो पा रहा है। और गोलमटोल जवाब देते हुए कहा कि पेमेंट नहीं होने के वजह से कार्य रुका हुआ है।

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