मुस्लिम समाज ने सामूहिक रूप से वीर दिशोम गुरु को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश की

जागता झारखंड इम्तियाज संवाददाता राँची : मुस्लिम समाज के सज़ग प्रबुद्धजनों धर्मगुरुओं झारखंड आंदोलनकारियों एवं सामाजिक व्यक्तियों द्वारा  शाह रेसिडेंसी होटल कलाल टोली कर्बला चौक में झारखंड निर्माता राजनैतिक-सामाजिक संघर्षों के प्रतिक जननायक समाज सुधारक आदिवासी अस्मिता के योद्धा जोल्हा-कोल्हा की आवाज़ आदिवासी-मूलवासी के पुरोधा महाजनी-सामंती शोषण की बुलंद आवाज़ समृद्ध झारखंड ख़ुशहाल झारखंड की सोच सामाजिक सौहार्द सामाजिक समरसता के प्रतिक पूर्व मुख्यमंत्री झारखंड पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यसभा सांसद आदरणीय दिशोम गुरु "वीर शिबू सोरेन" जी की याद में ख़िराज-ए- अक़ीदत व श्रंद्धाजलि सह परिचर्चा हुई। जिसकी अध्यक्षता हज़रत मौलाना डॉ ओबैदुल्लाह कासमी ने किया संचालन लहू बोलेगा के नदीम खान एवं विषय प्रवेश झारखंड आंदोलनकारी सह झारखंड वक़्फ़ बोर्ड के मो फ़ैज़ी सहित स्वागत शाह रेसिडेंसी होटल के शाह उमैर एवं धन्यवाद ज्ञापन समाजसेवी मो बब्बर ने किया ख़िराज-ए-अक़ीदत सह परिचर्चा में सर्वप्रथम क़ुरान की तिलावत से शहर काज़ी कारी जान मोहम्मद मुस्तफी ने शुरुआत की। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि वीर गुरु जी के छात्र से लेकर समाज सुधार एवं सामाजिक-राजनैतिक संघर्षों की जीवनगाथा झारखंड और देश के लिए ऐतिहासिक साहसिक प्रेरणादायक है।
मुस्लिम समाज पर जोल्हा कोल्हा भाई-भाई का नारा सामाजिक सौंदर्य  सामाजिक समरसता का लाज़वाब उदाहरण रहा है जो झारखंड का मुख्य नारों में से एक था।वीर गुरु जी ने कई मुस्लिम चेहरों को नेता बनाया एवं आपने संगठन आंदोलन संघर्ष राजनैतिक दल सत्ता में नेतृत्व भी दिया एवं निजी जीवन में भी बेहद सहज़ और दो टूक रहें ख़िराज-ए-अक़ीदत सह परिचर्चा में तीन  प्रस्ताव पारित हुआ पहला कि मुस्लिम समाज के धर्मगुरु झारखंड आंदोलनकारी अधिवक्ता समाजसेवी प्रबुद्धजनों की टीम शनिवार को वीर गुरु जी के पैतृक आवास नेमरा(रामगढ़) जाएगी।दूसरा प्रस्ताव दिशोम गुरु वीर शिबू सोरेन जी की याद में सभ्य समाज रक्तदान-महादान शिविर लगाएं।तीसरा वीर शिबू सोरेन जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।मौलाना ओबैदुल्लाह क़ासमी ने इस परिचर्चा में अध्यक्षता करते हुए कहा कि "शिबू सोरेन साहब इस मिट्टी के ऐसे सपूत थे, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी आदिवासी, ग़रीब और मज़लूम अवाम के हक़ के लिए लड़ते हुए गुज़ारी। वो सिर्फ़ एक नेता नहीं एक आंदोलन थे।उन्होंने ने कहा की उनकी सादगी उनकी हिम्मत और उनका उसूलों पर अडिग रहना ये सब हमें इंसाफ़ की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। उन्होंने हमेशा सबका हक़ सबकी आवाज़ की बात की। शिबू सोरेन साहब ने कभी भी जात-पात मज़हब या इलाक़े की तंगी में लोगों को नहीं बाँटा बल्कि हमेशा इंसानियत और बराबरी की बात की। यही उनके किरदार की बुलंदी थी।मौलाना ने कहा की उनकी ज़िंदगी हमें ये सिखाती है कि सच्चा लीडर वही होता है जो आखिरी साँस तक अपने लोगों के लिए जिये और लड़े।
दिशोम गुरु के साथ अपने जवानी के दिनों में झारखण्ड अलग राज्य के आंदोलन के समय दिशोम गुरु के आंदोलन के साथी ने आज के परिचर्चा में विषय प्रवेश करते हुए मो फ़ैज़ी ने कहा कि गुरु जी अलग राज्य के संकल्प को याद करते हुऐ कहा की उनके अंदर ग़ज़ब की राजनीतिक दूरदृष्टि थी। एक बार राँची में मीटिंग में उन्होंने कहा था 'झारखंड बनेगा, लेकिन ये सिर्फ़ कागज़ का राज्य नहीं होगा यह हमारे संघर्षों का फल होगा। वो सपना पूरा हुआ लेकिन आज वो सपना देने वाला हमारे बीच नहीं है।कार्यक्रम में धर्मगुरु उल्लेमा शहर काज़ी मौलाना अंसारुल्लाह क़ासमी काज़ी उज़ैर मुफ़्ती नसरुद्दीन मज़ाहरी शहर काज़ी कारी जान मोहम्मद मुस्तफी मौलाना मेराज़ अशरफ़  मुफ़्ती अब्दुल हासिब, मुफ़्ती ताल्हा नदवी सहित झारखंड आंदोलनकारी मो ज़ुबैर एजाज़ अनवर मो फ़ैज़ी प्रोफेसर इलियास माजिदी मुजीब कुरैशी सहित राजनैतिक ख़ालिद ख़लील प्रोफेसर महमूद आलम प्रोफेसर डॉ अशरफ़ हुसैन अधिवक्ता अज़हर खान जेएमएम नेता आफ़ताब आलम तनवीर अहमद रिसर्च स्कोलर इम्तियाज अहमद जावेद कुरैशी साज़िद उमर इंजीनियर शाहनवाज़ अब्बास अकरम राशिद,पत्रकार बुलंद अख़्तर मो लतीफ़ अंसारी जावेद अहमद शम्स तबरेज़ आदि शामिल थे।

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