वेशभूषा और मांदर की गूंज ने लोगों को कि एकजुट।
जागता झारखंड सवांदाता किस्को ,ओम प्रकाश पांडेय
: किस्को प्रखण्ड के खरकी छलको डिपा स्थित दयाल उराँव लूरकुड़िया भवन के समीप रविवार को करमा पूर्व संध्या सह मिलन समारोह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सांसद प्रतिनिधि दयानन्द उराँव, विशिष्ट अतिथि पाखर मुखिया फुलमनी उराँव एवं आदिवासी पड़हा समिति के पदाधिकारियों द्वारा पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ किया गया। इस दौरान प्रकृति पूजा कर संरक्षण का संकल्प भी लिया गया। समारोह में विभिन्न गांवों से पहुँचे खोड़हा दलों ने ढोल-मांदर की थाप पर मनमोहक प्रदर्शन प्रस्तुत किया। आदिवासी समाज की महिलाएं और पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में मांदर की थाप पर झूम उठे। पूरा परिसर पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य से गूंज उठा। मुख्य अतिथि दयानन्द उराँव ने कहा कि ढोल मांदर, आदिवासी रीति-रिवाज, भाषा, संस्कृति और वेशभूषा हमारी पहचान है। हमें अपनी संस्कृति को संरक्षित करने की आवश्यकता है। मांदर झारखंड का प्राचीन और लोकप्रिय वाद्य यंत्र है, जिसके बिना त्योहार, अखाड़ा, झांकी या नाटक अधूरा रहता है। करमा पर्व इसी परंपरा और संस्कृति की जीवंत पहचान है। मौके पर आयोजक समिति के अध्यक्ष विजय उराँव, सचिव रोपा उराँव, कोषाध्यक्ष रामेश्वर उराँव, प्रार्थना सभा किस्को के अध्यक्ष खुदीया उराँव, माधी उराँव, लाल देव उराँव, रंथू उराँव, पूर्णिमा उराँव, जयश्री उराँव, झिबी उराँव, मतला उराँव, रिजकु उराँव, निरंजन उराँव, विरंजित उराँव सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं समाज के लोग मौजूद रहे।
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