जागता झारखंड संवाददाता सनाउल्लाह अंसारी लोहरदगा :
आज के यूट्यूब युग में जहाँ सुर-ताल से अनजान गायक और नौसिखिए खुद को संगीतकार बताकर अश्लील गीतों के सहारे चैनल चला रहे हैं, वहीं नागपुरी और भोजपुरी संगीत की असली पहचान गुम होती जा रही है। इस गिरते स्तर को देखकर फिल्म निर्माता लाल विजय शाहदेव ने इसकी गरिमा बचाने के लिए नई मुहिम की शुरुआत की है। शाहदेव ने कहा कि भोजपुरी और नागपुरी संगीत हमारी मिट्टी की खुशबू और संस्कृति की पहचान है। इसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। अश्लीलता के बढ़ते शोर के बीच असली संगीत को दोबारा पहचान दिलाना ही उनका उद्देश्य है। लाल विजय शाहदेव मुंबई में सक्रिय फिल्म निर्माता हैं और इससे पहले हिंदी फिल्म “लोहरदगा”, हिंदी-नागपुरी फिल्म “फुलमनिया”, तथा भोजपुरी फिल्में “नाच बैजू नाच”, “मेरे नैना तेरे नैना” और “कोख” जैसी सराही गई फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं। उनके टीवी धारावाहिक भी सामाजिक मुद्दों पर आधारित रहे हैं। वहीं उनकी शॉर्ट फिल्म “द साइलेंट स्टैच्यू” आज भी कॉन्स फिल्म फेस्टिवल में सबसे अधिक देखी जाने वाली फिल्मों में शामिल है। अब शाहदेव ने अपने यूट्यूब चैनल “आकृति सिनेमास” पर शुद्ध और उच्चस्तरीय संगीत एलबम की श्रृंखला शुरू करने का निर्णय लिया है। इसकी शुरुआत 30 अगस्त (शनिवार) सुबह 6:30 बजे नागपुरी-भोजपुरी सांस्कृतिक संगम गीत “चल धान रोपे” से होगी। शाहदेव का कहना है – “मैं चाहता हूँ कि दर्शक एक बार जरूर इस असली संगीत का आनंद लें। यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और इसे बचाना समय की मांग है।” इस अभियान से न सिर्फ कलाकारों को एक सशक्त मंच मिलेगा बल्कि दर्शकों को भी शुद्ध और असली संगीत सुनने का अवसर प्राप्त होगा।
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