जागता झारखंड कैरो संवाददाता संतोष सिंह : तीज का त्यौहार स्त्रियों का प्रमुख पर्व है , जिसे बड़े उत्साह और आनंद के साथ ग्रामीण अंचलों में मनाया जाता है। कैरो, टाटी, खरता, चाल्हो, गजनी, नगजुवा, चारिमा, नरौली, खण्डा, उतका, सढाबे, एडादोन, गुडी, चिपो, नगडा आदि गाँवों में इस अवसर पर खास चहल-पहल देखने को मिलती है। महिलाएँ नए वस्त्र और पारंपरिक जेवर पहनकर सजती-संवरती हैं। घर-घर में विशेष पकवान जैसे गुजिया, पूड़ी, खीर, पूड़ा और तरह-तरह की मिठाइयाँ बनती हैं।
इस पर्व की सबसे खास पहचान सावन की हरियाली और झूले हैं। गाँव की युवतियाँ और महिलाएँ बागों और आँगनों में झूले डालकर गीत गाती हैं, समूह में नृत्य करती हैं और पारंपरिक लोकगीतों के माध्यम से अपनी खुशी व्यक्त करती हैं। तीज के दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु और परिवार के सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मंदिरों में पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है जिसमें गांव के लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
गाँवों में सामूहिक उत्सव का वातावरण बन जाता है। छोटी-छोटी बालिकाएँ मेंहदी रचाती हैं, खिलखिलाकर खेलती हैं और महिलाएँ आपस में गीतों की स्वर-लहरियों से वातावरण को भक्तिमय बना देती हैं। तीज का यह पर्व आपसी भाईचारे और मेलजोल को बढ़ावा देता है। हर गाँव में ढोलक, मंजीरे और लोकवाद्य की ताल पर नृत्य और गीत से वातावरण गूंज उठता है। इस तरह तीज का त्यौहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सौहार्द का भी संदेश देता है।
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