जागता झारखंड हिरणपुर पाकुड़ राहुल दास की बिशेष रिपोर्ट: जिले के महेशपुर प्रखंड में इन दिनों बालू का अवैध कारोबार अपने चरम पर है। हालात यह हैं कि बालू माफिया अब रात ही नहीं, दिनदहाड़े भी ट्रैक्टरों से बालू ढो रहे हैं और प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय दिखाई दे रहा है। जिला प्रशासन की ओर से अवैध उठाव रोकने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कभी-कभार अंचल अधिकारी के नेतृत्व में होने वाली कार्रवाइयों को लोग सिर्फ खानापूरी बता रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, चंडालमारा समेत कई नदी घाटों से रोजाना 50 से 100 ट्रैक्टर बालू की अवैध ढुलाई की जा रही है। यह कारोबार हर महीने करोड़ों रुपये का राजस्व निगल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि बालू माफियाओं का दबदबा इतना है कि किसी में विरोध करने की हिम्मत नहीं बची। माफिया विरोध करने वालों को फर्जी केस में फँसाने की धमकी देते हैं । बालू लदे ट्रैक्टरों पर न तो खनन विभाग का डर है, न पुलिस का और न ही परिवहन विभाग का। ओवरलोड ट्रैक्टर सड़कों पर फर्राटे भरते हैं, लेकिन चेकिंग के नाम पर अधिकारी आंख बंद कर निकल जाते हैं। कई जगहों पर माफिया अपने लोगों को चौकन्ना बैठा रखते हैं, ताकि छापेमारी की भनक मिलते ही रास्ता बदलकर वाहन को बचाया जा सके। पूरा खेल बेहद संगठित तरीके से चल रहा है। अंधाधुंध खनन से इलाके की नदियां धीरे-धीरे खोखली होती जा रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार या तो नदी घाटों की नीलामी करे या फिर बालू उठाव पर लगे प्रतिबंध को खत्म करे, जिससे जरूरतमंद खुद नदी से बालू ले सकें और माफियाओं पर निर्भर न हों । महेशपुर और अमड़ापाड़ा थाना क्षेत्रों में सफेद रेत का यह काला कारोबार लगातार जारी है और प्रशासन की चुप्पी इस पूरे खेल पर बड़े सवाल खड़े करती है।
बालू पर कोर्ट की रोक, लेकिन जामताड़ा में डंपिंग चालान के नाम पर बड़े ट्रकों की धड़ल्ले से ढुलाई।
एक तरफ राज्य सरकार कोर्ट के आदेश पर बालू उठाव पर रोक लगाए हुए है, दूसरी तरफ जामताड़ा में डंपिंग चालान के नाम पर भारी वाहन नो एंट्री में भी लाइन से खड़े दिखाई देते हैं। सूत्र बताते हैं कि डंपिंग यार्ड से जारी चालान का इस्तेमाल कर ट्रक बिना किसी रोक-टोक के बालू ढो रहे हैं। व्यवस्था ऐसी है कि इसे देखने और रोकने वाला कोई नहीं। लोगों का कहना है—
यहाँ ‘सबका साथ, सबका विकास’ की कहानी नहीं, ‘सबका साथ, सबका बचाव’ वाली कहानी चल रही है।


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