भारतीय संविधान की महत्ता एवं उसकी प्रासंगिकता पर विस्तृत चर्चा



जागता झारखंड दुमका ब्यूरो। स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग में संविधान दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार सिन्हा ने की। गोष्ठी में भारतीय संविधान की महत्ता एवं उसकी प्रासंगिकता पर विस्तृत चर्चा की गई।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. संजीव कुमार सिन्हा ने संविधान निर्माण की ऐतिहासिक प्रक्रिया तथा इसकी मूल भावना पर प्रकाश डाला। उन्होंने पड़ोसी देशों के उदाहरण देते हुए कहा कि जहाँ संविधान की अवमानना होती है, वहाँ तानाशाही जन्म लेती है।इस अवसर पर सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. टी. पी. सिंह ने संविधान की जानकारी प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के निर्वहन का भी समान महत्व है।डॉ. विजय कुमार ने संविधान की प्रस्तावना में निहित मूल्यों को स्पष्ट किया तथा बताया कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता और गरिमा प्रदान करने की गारंटी देता है।वहीं डॉ. अजय सिन्हा ने संविधान सभा में झारखंड से जुड़े सदस्यों के योगदान की चर्चा की। उन्होंने भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष शब्द के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह अधार्मिक राज्य का प्रतीक नहीं है, बल्कि सर्वधर्म समभाव की भावना को दर्शाता है। उन्होंने प्रस्तावना में उल्लिखित बंधुता, राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर बल देते हुए कहा कि आज भाषा, जाति, धर्म और प्रांत के नाम पर बंधुता को कमजोर करने वाली कई शक्तियाँ सक्रिय हैं; ऐसे समय में देश की एकता को मजबूत करने के लिए संविधान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है।कार्यक्रम में छात्र झंडू मुर्मू ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. जय कुमार शाह, डॉ. राजीव केरकेट्टा, डॉ. गणेश, शोधार्थी अभिनव, करुणा सहित अनेक छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।

कार्यक्रम का मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन छात्र अमन ने किया।

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