प्रकृति, परंपरा और जीवन का संगम : कर्मा पर्व

 झारखंड संवाददाता संतोष सिंह कैरो


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लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड में हर्षोल्लास के साथ कर्मा पर्व का आयोजन किया गया। यह पर्व न केवल प्रकृति की पूजा है, बल्कि समाज में भाईचारे, सामूहिकता और परंपरा की निरंतरता का प्रतीक भी है। इस विशेष अवसर पर मुख्य अतिथि अभिनव सिद्धार्थ तथा विशिष्ट अतिथि बिंदेश्वर उरांव की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।


कार्यक्रम में कैरो ऊतका, सढ़ाबे, टाटी, ख़रत, हुदु गीतिलगढ़, एडादोन, गजनी, चाल्हो, माहुवरी, खंडा, नग्जुआ, गुड़ और नगड़ा सहित कई गांवों की खोड़ा टीमें शामिल हुईं। पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य की प्रस्तुति ने उपस्थित जनसमूह को लोकसंस्कृति से जोड़ दिया। महिलाएं और युवाओं द्वारा प्रस्तुत कर्मा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहा, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


अपने संबोधन में मुख्य अतिथि अभिनव सिद्धार्थ ने कहा कि कर्मा पर्व सामाजिक समरसता और भाईचारे का प्रतीक है। यह पर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हुए समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करता है। वहीं विशिष्ट अतिथि बिंदेश्वर उरांव ने कर्मा को हमारी सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए कहा कि यह परंपरा पीढ़ियों को अपनी संस्कृति और प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा देती है।


इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों और आयोजकों ने ग्रामीण जीवन में कर्मा पर्व के महत्व पर चर्चा की और युवाओं को इसके माध्यम से संस्कृति को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। आयोजन समिति ने बताया कि ऐसे उत्सव न केवल मनोरंजन के साधन हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करते हैं।

कार्यक्रम में अध्यक्ष किशोर उरांव, कार्यकारी अध्यक्ष अमरेंद्र पन्ना, सचिव राजेश्वर भगत, उपाध्यक्ष तिला उरांव, कोषाध्यक्ष जगबंधन भगत, सरत कुमार, डॉ. राकेश कुमार, थाना प्रभारी कुन्दन कुमार, प्रमुख श्रीराम उरांव, उपप्रमुख मधुलिका रानी, मुखिया बिरेंद्र महली और बंधुवा उरांव उपस्थित रहे। सभी ने इस अवसर पर समाज में एकजुटता और भाईचारे के संदेश को प्रसारित करने पर जोर दिया।

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