जागता झारखंड संवाददाता शिकारीपाड़ा (दुमका)
शिकारीपाड़ा प्रखंड सभागार में आज मंगलवार को प्रखण्ड विकास पदाधिकारी की अध्यक्षता में प्रखण्ड स्तरीय बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति का क्षमतावर्धन बैठक आयोजित किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि जनभागीदारी और सामुदायिक स्वामित्व के माध्यम से बच्चों के संरक्षण एवं समग्र कल्याण के लिए यह समिति प्रखण्ड स्तर पर कार्य करती है। समाज में देखभाल और संरक्षण वाले बच्चों के अधिकारों के संरक्षण हेतु ग्राम और पंचायत स्तर पर लगातार पहल करने आवश्यकता है। उन्होंने सभी मुखिया और पंचायत सचिव से बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने हेतु आवश्यक कदम उठाने पर बल दिया।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बाल यौन शोषण और बाल दुर्व्यवहार की रोकथाम हेतु पारिवारिक स्तर पर पहल करने की बात कही। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि बाल दुर्व्यवहार को रोकने के लिए हमे संवेदनशील माता-पिता और पड़ोसी बनाना होगा।
अंचलाधिकारी ने बताया की मानव विकास में बचपन बहुत ही महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है। बच्चों को यौन शोषण और मानव तस्करी के जैसी कुरीतियों से बचाने के लिए सभी अधिकारी और पदधारियों सक्रिय रहना होगा। मिशन के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक समन्वय बेहद आवश्यक है।
प्रवाह संस्था के परियोजना समन्वयक प्रेम कुमार ने पीपीटी के माध्यम से मिशन वात्सल्य के उद्देश्यों, प्रखण्ड स्तरीय बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति के कार्यों और दायित्वों सहित किशोर न्याय अधिनियम-2015 एवं पोकसो अधिनियम-2012 के आवश्यक प्रावधानों के बारे में बताया। देखभाल और संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों के लिए उपलब्ध सरकार की सेवाओं और योजनाओं की जानकारी भी उन्होंने प्रदान की।
चाइल्ड हेल्पलाइन से निक्कू कुमार साह ने बाल तस्करी से पीड़ित बच्चों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए बताया कि मानव तस्करी से पीड़ित बच्चों का आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए विभागीय पहल को गति देने की आवश्यकता है।
जिला परियोजना सहायक(नीति आयोग) ने बताया की बाल विवाह और असुरक्षित पलायन जो मानव तस्करी को बढ़ावा देते है; ऐसे मामलों को रोकने के लिए पंचायत स्तर पर विवाह एवं पलायन पंजी का संधारण करना समिति के दायित्व में शामिल होना आवश्यक है। इससे मानव तस्करी और बाल विवाह के रोकथाम को गति मिलेगा।
किशोरी सदस्यों के आग्रह पर मुखिया एवं शिक्षकगण ने अपने वक्तव्यों में गाँव एवं पंचायतों में सुरक्षित एवं असुरक्षित स्थानों को चिन्हित करके सामुदायिक निगरानी बढ़ाने पर जोर देते हुए बताया की बच्चों विशेषकर लड़कियों को स्कूल, बाजार, या कहीं आने-जाने के क्रम में मनचले लड़कों द्वारा छेड़खानी झेलना पड़ता है। जो गंभीर चिंता का विषय है। गाँव और पंचायत की सक्रिय समितियाँ स्कूल जाते और आते समय निगरानी रखेंगे तो बच्चें सुरक्षित आवा-गमन कर पाएंगे। पुलिस विभाग को भी ऐसे क्षेत्र में गश्ती करके बाल हित में निगरानी को मजबूत करना होगा।
मौके पर संबंधित विभाग के जिला एवं प्रखण्ड स्तरीय पदाधिकारी, मुखिया, पंचायत सचिव, आँगनवाड़ी सेविका, शिक्षक, मीडिया कर्मी, और किशोर – किशोरी सदस्य मौजूद थे।
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