सड़क पर मौजूद हजारों गड्ढे और अधूरा पुल, कभी भी बड़े हादसे का कारण



जागता झारखंड दुमका ब्यूरो। दुमका से काठीकुण्ड मार्ग पर भुरकुंडा और मधुबन के बीच सड़क की स्थिति और पुल की खराब हालात, सड़क निर्माण विभाग की लापरवाही और भारी कोयला गाड़ियों के आवागमन के कारण जनता को लगातार जान जोखिम में डालनी पड़ रही है,

इस इलाके में कोयला लदी भारी वाहनों का रोजाना संचालन होता है, जिससे सड़क पर दबाव काफी अधिक रहता है। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, तेज गति और भारी ट्रकों की वजह से सड़क पर कई गंभीर हादसे हो चुके हैं, जिनमें जान-माल का नुकसान हुआ है.

ग्रामीणों और राहगीरों के अनुसार, पुल में “हड्डी” (रॉड/स्ट्रक्चर) बाहर आ गई है, जिससे सुरक्षित आवाजाही संभव नहीं रह गई। सड़क की बार-बार केवल डस्ट और गिट्टी डालकर मरम्मत की जा रही है, जो स्थायी नहीं है.,जब स्थानीय लोगों ने विभाग की घटिया मरम्मत पर सवाल उठाए तो अभियंता ने सफाई में तकनीकी कमजोरियों की बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। ग्रामीणों का कहना है कि जिम्मेवार अधिकारियों की बेरुखी के चलते जानमाल का खतरा बना हुआ है.,पुल और सड़क की खराबी के कारण आम जनता के साथ-साथ कोयला गाड़ी चालकों को भी गंभीर दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। प्रशासन द्वारा पर्याप्त मेडिकल सुविधा और सुरक्षा उपायों की कमी के कारण कई बार घायल व्यक्तियों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता.,सड़क पर मौजूद हजारों गड्ढे और अधूरा पुल, कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। हादसों के बाद कई बार ग्रामीणों ने रास्ता जाम कर प्रशासन का ध्यान दिलाने की कोशिश की है, पर स्थायी समाधान अब तक नहीं मिल सका.राहगीरों और स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक प्रशासन ठोस उपाय नहीं करता, सड़क पर चलना भगवान भरोसे ही है। पुल और सड़क की जर्जर हालत की वजह से लोगों की जान हर दिन जोखिम में है और सरकारी तंत्र अब भी चुप्पी साधे बैठा है।


"जब तक प्रशासन कोई बड़ा और स्थायी कदम नहीं उठाता, राहगीरों की जान भगवान भरोसे ही है…” — ग्रामीण


स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन, सड़क निर्माण विभाग और स्थानीय प्रतिनिधियों को तत्काल और टिकाऊ कार्रवाई की आवश्यकता है। समस्या को नजरअंदाज करना लगातार मानवीय और प्रशासनिक असफलता का प्रमाण है।

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