कोरीडीह के पहली बेटी इशरत मदरसा दारुल इरफान में पढ़ कर बनी हाफिजा,परिवार व गांव में खुशी का माहौल,


जशन-ईद-मिलादुन्नबी के मौके पर इशरत ने दस्तारबंदी पाने कि सौभाग्य प्राप्त हुआ




जागता झारखंड संवाददाता,शहादत अली नारायणपुर (जामताड़ा)  : 
शुक्रवार को जश्ने ईद-मिलादुन्नबी के पाक मौके पर कोराडीह गांव में खुशनुमा माहौल देखने को मिला। इस मौके पर मदरसा दारुल इरफान हेठटोला के सरजमी पर दस्तरबंदी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौलाना मक़बूल मिस्बाही ने शिरकत की अतिथि को मदरसा के हेड मौलाना हाजी अब्दुल रज्जाक मिस्बाही, मौलाना मो सरफराज, हाफिज अल्ताफ, हाफिज सत्तार, मौलाना जाकिर हुसैन और कमेटी के सदर समसुद्दीन अंसारी सचिव जान मोहम्मद समेत अन्य गणमान्य लोगों ने आए मुख्य अतिथि को गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मौलाना मकबूल मिस्बाही ने इशरत की दस्तारबंदी कर उसे कुरान हाफिज के दर्जे से नवाज़ा। इस क्रम में मौलाना मकबूल ने कहा कि बेटियों का कुरान सीखना और समाज में आगे बढ़ना गर्व की बात है। उन्होंने इशरत और उसके परिवार को दुआएं दीं। इस दौरान इशरत ने कुरान की तिलावत के साथ-साथ बेहतरीन लफ्जों में तकरीर पेश की। कार्यक्रम में मोहडार,कोरीडीह, ईदगाह टोला महतोडीह एवं मुकुंदपुर हेठटोला गांव से बड़ी संख्या में महिला पुरुष युवा एवं बच्चों ने भाग लिया और खुशी जाहिर की। अंत में सलातो सलाम पढ़ कर मुल्क की तरक्की और भाईचारा अमन चैन की दुआ मांगी गई। उपस्थित लोगों के बीच मिठाइयां बांटी गईं तथा परिवारजन और समाज के लोगों ने इसे ऐतिहासिक अवसर करार दिया। क्यों कि इशरत गांव के पहली बेटी कम समय में हाफिजा बनी। इस कामयाबी से पूरे गांव में रौनक भरा माहौल रहा और बेटियों को तालीम दिलाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया। मौके पर हारून मियां समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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